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लेखक:

कुणाल सिंह

22 फरवरी 1980 को कोलकाता के समीपवर्ती एक गाँव में जन्म। प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से हिन्दी साहित्य में एम.ए. (प्रथम श्रेणी में प्रथम) के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से एम.फिल (प्रथम श्रेणी में प्रथम)। फिलहाल यहीं से पी.एच.डी. कर रहे हैं।

कहानियों की अब तक दो किताबें — ‘सनातन बाबू का दाम्पत्य’ तथा ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’। कुछ कहानियाँ बांग्ला, ओडिय़ा, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयाली, पंजाबी, अँग्रेजी तथा जर्मन में अनूदित। स्वयं भी बांग्ला से अनुवाद करते हैं।

शरतचन्द्र के उपन्यास ‘देवदास’ का अनुवाद भारतीय ज्ञानपीठ से पुस्तकाकार प्रकाशित। फिल्म में गहरी रुचि। सिनेमा पर कुछ आलेख प्रकाशित। भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार (वर्ष 2006 में कहानी विधा तथा वर्ष 2010 में उपन्यास विधा में), कथा अवार्ड (2005), कृष्णबलदेव वैद फेलोशिप (2005)। विभिन्न समयों में ‘वागर्थ’ (सं. रवीन्द्र कालिया), ‘वाक्’ (सं. सुधीश पचौरी) तथा ‘नया ज्ञानोदय’ (सं. रवीन्द्र कालिया) के सहायक के तौर पर कार्यानुभव। रवीन्द्र कालिया द्वारा सम्पादित लगभग आधा दर्जन पुस्तकों में सहायक सम्पादक।

आदिग्राम उपाख्यान

कुणाल सिंह

मूल्य: $ 12.95

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सनातन बाबू का दाम्पत्य

कुणाल सिंह

मूल्य: $ 8.95

सात कहानियों का संग्रह....   आगे...

 

   2 पुस्तकें हैं|

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